Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग -1

8TH SEMESTER !

A Story of Dil, Dosti & Daru...


किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि "आशिक़ बन कर अपनी ज़िंदगी बर्बाद मत करना......" लेकिन समय के साथ साथ बर्बादी तो तय है, जो मैने खुद चुनी....मैने वो सब कुछ किया ,जिसके ज़रिए मैं खुद को बर्बाद कर सकता था, और रही सही कसर मेरे अहंकार ने पूरी कर दी थी...अपनी ज़िंदगी के सबसे अहम 4 साल बर्बाद करने के बाद मैं आज इस मुकाम पर था कि अब कोई भी मुकाम हासिल नही किया जा सकता,.

पापा चाहते थे कि मैं भी अपने बड़े भाई की तरह पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बन जाऊं...लेकिन मैने अपनी ज़िंदगी के उन अहम समय मे जब मैं कुछ कर सकता था, मैने यूँ ही बर्बाद कर दिया, घरवाले नाराज़ हुए, तो मैने सोचा कि थोड़े दिन नाराज़ रहेंगे, बाद मे सब ठीक हो जाएगा....लेकिन कुछ भी ठीक नही हुआ, सबके ताने दिन ब दिन बढ़नेलगे... बर्बाद ,नकारा कहकर बुलाते थे सभी मुझे घर मे...और एक दिन तंग आकर मैं घर से निकल गया और नागपुर आ गया अपने एक दोस्त के पास.

नागपुर आने से पहले सुनने मे आया था कि मेरा बड़ा भाई विपेन्द्र विदेश जाने वाला है, और उसके साथ शायद माँ -पिताजी  भी जाएँगे....लेकिन मुझे किसी ने नही पुछा...शायद वो मुझे यही छोड़ जाने के प्लान मे थे...खैर मुझे खुद फरक नही पड़ता इस बात से और आज मुझे नागपुर आए हुए लगभग 2 महीने से उपर हो चुके है, मेरा भाई विदेश गया कि नही, मेरे माँ-बाप विदेश गये कि नही , ये सब मुझे कुछ नही पता और ना ही मैने इन दो महीनो मे कभी जानने की कोशिश की और जहाँ तक मेरा अंदाज़ा था वो लोग मुझे मरा मानकर शायद हमेशा के लिए मेरे बड़े भाई के साथ विदेश चले गये होंगे

यदि कोई मुझसे पुछे कि दुनिया का सबसे बेकार, सबसे बड़ा बेवकूफ़ यहाँ तक की  सबसे बड़ा चूतिया कौन है , तो मैं बिना एक पल गँवाए अपना हाथ उपर खड़ा कर दूँगा और बोलूँगा "मैं हूँ". यदि किसी को अपनी लाइफ की जड़े खोदकर बर्बाद करनी हो तो वो बेशक मेरे पास आ सकता था और बेशक मैं उसकी मदद भी करूँगा ....

नागपुर आए हुए मुझे दो महीने से उपर हो गया था,जहाँ मैं रहता था , वहाँ से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर एक नयी नयी मेटलर्जिकल इंडस्ट्री शुरू हुई थी...काफ़ी धक्के मुक्के लगाकर कैसे भी करके मैने वहाँ अपनी नौकरी फिक्स की , बड़ी ही बदजात किस्म की नौकरी है, साली..., 12 घंटे तक अपने शरीर को आग मे तपाने के बाद बस गुज़ारा हो जाए इतना ही पैसा मिलता है....खैर मुझे कोई शिकायत भी नही है ....जैसे जैसे समय बीत रहा था, मैं उस फैक्ट्री  की आग मे जल रहा था, जीने के सारे अरमान ख़तम हो रहे थे और जब कभी आसमान को देखता तो सिर्फ़ दो लाइन्स मेरे मुँह  से निकल पड़ती...

आसमानो के   फलक पर कुछ रंग आज भी बाकी है.........!!!
जाने ऐसा क्यूँ लगता है कि ज़िंदगी मे कुछ अरमान आज भी बाकी है.........!!!

और मेरी सबसे बड़ी बदक़िस्मती ये थी कि मेरा नाम भी अरमान था, जिसके अरमान ही  पूरे नही हुए, या फिर यूँ कहे कि मेरे अरमान पूरे होने के लिए कभी बने ही नही थे.

You ready ?  Lets Begin the Journey of dil, dosti and daru............🍻🍻🍻

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34 Comments

Gunjan Kamal

06-Oct-2022 09:59 AM

बेहतरीन शुरुआत

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Abhinav ji

23-Dec-2021 11:59 PM

Nice

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Yug Purush

19-Dec-2021 08:48 PM

Thqnk you everyone

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